बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

सुख-दु:ख साझ करती हैं सहेलियां


                      

शैलजा, रोमाली और अंजलिका तीनों ने आज अपने घर और ऑफिस के काम से छुट्टी लेकर पूरे दिन साथ में घूमने का प्लान बनाया है। उनकी इस आउटिंग में साथ में न तो उनका काम होगा और न ही कुछ और। ये उनका अपना समय होगा, जिसे वे अपने तरीके से इंजॉय करेंगी। अपने मन की बात करेंगी। ये तीनों सहेलियां महीने में एक बार जरूर मिलती हैं।
इस तरह उनका सिर्फ अपने लिए मिलना उन्हें महीनेभर के लिए ऊर्जा से भर देता है एक तरह से उन्हें जैसे तरो-ताजा कर देता है। दरअसल ये तीनों अपनी इस टोली में एक-दूसरे से अपने सुख-दु:ख साझ करती हैं।
मौज-मस्ती करती हैं।
इन तीनों सहेलियों ने शादी के बाद यूं मिलना, साथ में कुछ वक्त बिताना, घूमना-फिरना काफी सोचवि चार कर तय किया है। दरअसल वे तीनों सालों से एक जैसे चल रहे रुटीन से इतना तंग आ गई थीं कि रात के खाने का मेन्यू और ऑफिस की फाइलों के बारे में सोचने से उन्हें कोफ्त होने लगी थी। सो उन्होंने इसे बदलने का सोचा।
कहानी केवल इन तीन सहेलियों की नहीं है। कभी-कभी आपको भी लगता होगा कि सुबह से शाम के एकरस रुटीन को जीना बोरिंग हो जाता है।
खासतौर पर शादी के बाद जिस तरह महिलाओं की जिंदगी बदलती है, उसमें आने वाली एकरसता जिंदगी के स्वाद को बेमजा कर डालती है। फिर चाहे आप हाऊसवाइफ के रोल में हों या फिर वर्किग वुमन के।
बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजना, पति के ऑफिस जाने की तैयारी करना, घर की साफ-सफाई करना, खाना बनाना, कपड़े धोना, खरीदारी करना, मेहमानों को अटैंड करना और यदि आप वर्किग वूमन हैं तो साथ में अपने ऑफिस का काम भी मैनेज करना। स्त्री चाहे होम मेकर हो या कामकाजी घरेलू काम का दबाव उन पर अक्सर रहता ही है।
कई बार घर की जिम्मेदारियों के चलते महिलाएं अपने होने के अहसास, अपनी खुशियों और अपने लिए जीने, अपने बारे में सोचने की बात को बहुत पीछे ढकेल देती हैं। उन सारे शौक और कामों को बिल्कुल हाशिए पर डाल देती हैं, जो कभी उन्हें ऊर्जा देने का काम करते थे। वे घुट- घुट कर जीने लगती हैं।
यह हमेशा याद रखिए कि अपनी इच्छाओं का गला घोटने या दबाने से जीवन में निराशा ही पैदा होती है और यह निराशा अवसाद की ओर ले जाती है। इससे पहले कि आप जिंदगी से ही तंग आ जाएं, इसे बेहतर ढंग से जीने की कोशिश करें। जीवन की एकरसता को तोड़ें। छोटी-छोटी बातों से जिंदगी में खुशियों के रंग भरें। यदि आप अपने बारे में नहीं सोचेंगी तो कौन सोचेगा? शादी के बाद भी काम और परिवार से परे आपकी भी अपनी एक निजी जिंदगी है, जिसे जीने का आपको भी पूरा हक है। समय निकालिए खुद के साथ जीने के लिए।
यदि आपकी सहेलियों का कोई ग्रुप है तो बहुत ही अच्छा, वरना नए मित्र बनाइए और छोटी-मोटी आउटिंग से लेकर पूल लंच-डिनर या यूं ही विंडो शॉपिंग करने निकल पड़िए। यही नहीं, थोड़ी-बहुत गॉसिप भी कभी- कभार के लिए बुरी नहीं। इससे आप कुछ हल्के पल जिएंगी और खुद को तरोताजा महसूस करेंगी। तो देर किस बात की.आज से ही शुरुआत कर डालिए।

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Source – KalpatruExpress News Papper

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