बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

क्या है सरवाइकल कैंसर



विश्व कैंसर दिवस चार फरवरी को पूरे विश्व में मनाया गया। कैंसररोगियों की तादाद और इसकी भयावहता भारत में भी लगातार बढ़ती जा रही है। देश में कैंसररोगियों की अनुमानित संख्या 11 लाख से अधिक है। महिलाओं में सरवाइकल कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर तेजी से फैल रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में जहां प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख महिलाएं सरवाइकल कैंसर की चपेट में आती हैं और 2.75 लाख महिलाएं मौत का शिकार होती हैं। इसी प्रकार लगभग 2.42 लाख पुरुष प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित होते हैं और 28 हजार मौत के शिकार हो जाते हैं। ज्यादातर 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सरवाइकल कैंसर का खतरा होता है जबकि प्राय: 40 वर्ष की उम्र से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एवं पूर्व प्रमुख डॉ. दिवाकर दलेला और अवध हॉस्पिटल एण्ड हार्ट सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मिताली दास साहा से रिया तुलसियानी ने सरवाइकल और प्रोस्टेट कैंसर के विभिन्न पहलुओं पर बात की है।
टीके के बाद भी सरवाइकल कैंसर का खतरा सरवाइकल कैंसर या सरविक्स का कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से में होने वाला कैंसर है। गर्भाशय के निचले हिस्से के संकरे भाग को सरविक्स या ग्रीवा कहा जाता है। इसे गर्भाशय की ग्रीवा या गर्दन भी कहा जा सकता है। ज्यादातर यह कैंसर ग्रामीण और निचले तबके की महिलाओं में होता है क्योंकि इसके लक्षण दिखने पर जागरूकता की कमी के चलते वे तुरंत डॉक्टर से संपर्क नहीं करती हैं। यूं तो एचपीवी वायरस लगभग 100 प्रकार का होता है लेकिन एचपीवी 16,18 और 21 से सरवाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। इस कैंसर के चार चरण होते हैं। जांच के बाद ही पता चलता है कि कैंसर कितना फैल चुका है।
सरवाइकल कैंसर के कारण ज्यादातर सरवाइकल कैंसर एक से अधिक व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है। अगर कोई महिला या पुरुष एक से अधिक व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध रखते हैं तो महिलाओं के ग्रीवा में कटाव की स्थिति पैदा होती है और ह्यूमन पैपेलोमा वायरस (एचपीवी) से होने वाले संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि एक व्यक्ति से सम्बन्ध बनाने से संक्रमण नहीं फैलता। इसका दूसरा कारण कम उम्र में सम्बन्ध बनाना भी हो सकता है। साथ ही वे महिलाएं जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो और वे एड्स से ग्रसित हों या फिर अत्यधिक तनावग्रस्त रहने पर उनकी एचपीवी वायरस से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, उन्हें भी सरवाइकल कैंसर होने का खतरा दूसरी महिलाओं से ज्यादा होता है।
सरवाइकल कैंसर की जांच महिलाओं में लक्षण पाए जाने पर पैप स्मियरनामक जांच की जाती है जिसमें जांच के दौरान ग्रीवा की कोशिकाओं में यदि कोई परिवर्तन दिखाई देता है तो मरीज को काल्पोस्कोपीनामक जांच के बाद बायोप्सीभी करानी पड़ती है। पैप स्मियरनामक जांच बहुत सस्ती है इसे हर तबके की महिलाएं आसानी से करवा सकती हैं।
. इस कैंसर के चार चरणों में से चरण एक में कैंसर इतना सूक्ष्म होता है कि उसे सूक्ष्मदर्शी के बगैर नहीं देखा जा सकता है। यह 3-5 मिमी के बराबर होती है। इसे रेडियोथेरेपी से ठीक किया जा सकता है। चरण एक में कैंसर 4 सेमी के बराबर भी हो सकता है जिसे बिना सूक्ष्मदर्शी के देखा जा सकता है। ऐसे में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दोनों की आवश्यकता पड़ सकती है लेकिन मरीज की जान को कोई खतरा नहीं होता है।
. चरण दो में कैंसर ग्रीवा और गर्भाशय में फैल चुका होता है। योनि की पेल्विक वॉल सुरक्षित होती है लेकिन योनि के ऊपरी हिस्से तक पहुंच चुका होता है। इसमें शल्य चिकित्सा, रेडियोथेरैपी या कीमोथैरेपी के मिश्रण से इलाज किया जाता है।
. चरण तीन में कैंसर ग्रीवा और गर्भाशय के अतिरिक्त पेल्विक (योनि के निचले हिस्से) तक पहुंच चुका होता है जिससे यूरिन में बाधा उत्पन्न होती है और गुर्दे खराब हो सकते हैं।
इसमें कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के मिश्रण से इलाज किया जाता है लेकिन मरीज की जान को खतरा होता है।
. चरण चार के कैंसर में मरीज के बचने के संभावना बहुत कम होती है। इसमें गुर्दे के बाद कलेजा, फेफड़े, हड्डियां और मूत्राशय समेत अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसमें पैलिएटिव सजर्री की जाती है लेकिन उपचार कारगर होगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है।
सरवाइकल कैंसर का टीका टीका एचपीवी से बचने के लिए लगाया जाता है और उन्हें लगाया जाता है जो इस बीमारी से प्रभावित नहीं हैं। यह टीका एचपीवी 16, 18, 21 को नियंत्रित करता है। टीके से 90 फीसदी मरीजों के संक्रमण को रोकने का प्रयास किया जाता है लेकिन 100 फीसदी फायदा होगा कि नहीं यह कहना मुश्किल है मगर जो एचपीवी से प्रभावित नहीं हैं उनमें से 90 फीसदी मरीज संक्रमण से बच सकते हैं लेकिन 10 फीसदी टीके के बाद भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। 10 साल की उम्र से 40 साल की महिलाएं इस टीके को लगवा सकती हैं। इस टीके की 0, 1, 6 या फिर 0, 2, 6 तीन डोज होती हैं। इन तीनों टीकों का दाम लगभग 6,500 रुपये है। पहले टीके के एक महीने के बाद दूसरा और पांच महीने के बाद तीसरा लगवाया जाता है लेकिन साथ ही इससे बचाव के लिए जरूरी है कि कुछ भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। टीका लगवाने के बाद भी सुरक्षा तभी संभव है जब महिलाएं स्वयं जागरूक हों और लापरवाही न करें। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष हर महिला को पैप स्मियर जांच करवाते रहना चाहिए। यौन संपर्क में साफ-सफाई और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। टीका सिर्फ एचपीवी से बचा सकता है लेकिन अन्य कारणों से भी सरवाइकल कैंसर हो सकता है।
सरवाइकल कैंसर सरवाइकल कैंसर के लक्षण . शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद महिलाओं में रक्तप्रवाह . बदबूदार श्वेतप्रदर का प्रवाह . मीनोपॉज के बाद भी अनियमित रक्तप्रवाह . टांगों और कमर में दर्द . मलमूत्र त्याग करने में परेशानी . गर्भाशय के निचले हिस्से में दर्द . गैस्ट्राइटिस की समस्या
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Source – KalpatruExpress News Papper

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