शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

रिश्तों में धोखे से भी अधिक खतरनाक साबित होती है ‘नैगिंग’




छोटे-छोटे जाने कितने सपने हमारी खुशियों की नींव रखते हैं और यहीं से तैयार होती है हमारे खूबसूरत रिश्ते की इमारत। लेकिन रुपया-पैसा, नौकरी, सास-ससुर से खटपट, बच्चा न होना या विवाहेतर संबंध. वे कौन से कारण हैं जो किसी दंपति के विवाहित जीवन में सेंध लगाकर उसकी खुशियों को चुरा लेते हैं? अचरज की बात यह है कि इनमें से कोई भी समस्या इतनी गंभीर नहीं जितनी नैगिंगयानी दखलअंदाजी की समस्या है। बार-बार टोकने व तंग करने की यह आदत एक सीमा के बाद रिश्तों में अक्सर दरार डालने लगती है। द वॉल स्ट्रीटजर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक रिश्तों में धोखे से भी अधिक खतरनाक साबित होती है नैगिंग। प्रस्तुत है स्मिता सिंह की रिपोर्ट:

क्या है नैगिंग उफ! गीला टॉवेल फिर से बिस्तर पर.,कपड़े यहां-वहां क्यों फेंके हैं? जूते की जगह ड्राइंग रूम में नहीं, शू रैक में है, ये गंदे मोजे कब तक लॉन्ड्री से बाहर रहेंगे.?
अधिकतर स्त्रियां लगभग रोज ऐसे वाक्य दोहराती नजर आती हैं। व्यवस्थित होना, स्वच्छता रखना, हर काम को बखूबी संभालना, अनुशासन रखना, ये कुछ गुण खास तौर पर स्त्रियों में होने जरूरी समङो जाते हैं। लेकिन जब आदतें जिद बन जाएं और दूसरा पक्ष लगातार लापरवाही, सुस्ती और आरामतलबी दिखाता रहे तो झगड़ा होना तय है।
एक पक्ष लगातार दूसरे को आदेश देता रहे, उसे टोकता रहे, ताने देता रहे जबकि दूसरा पक्ष उसे नजरअंदाज करता रहे। साथ ही दोनों अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहें तो झगड़ा बढ़ने लगता है। यूं तो ऐसे झगड़े लगभग हर दंपति के बीच होते हैं, लेकिन जब कोई पक्ष झुकने को तैयार न हो और झगड़े रोज होने लगें तो समस्या गंभीर हो जाती है।
यह क्रूरता की हद तक बढ़ने लगती है और रिश्ते का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
यदि द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट मानें तो दुर्भाग्य से इस तरह के झगड़ों की शुरुआत अकसर स्त्रियां करती हैं।
इसका एक कारण यह है कि घरेलू जिम्मेदारियां उन पर पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि पुरुष नैगिंग नहीं करते। आमिर खान के चर्चित टीवी शो सत्यमेव जयते के घरेलू हिंसा से जुड़े एक एपिसोड में कुछ पुरुषों ने स्वीकारा कि खाना न बनाने, रोटी खराब बनाने जैसी छोटी-छोटी बातों को लेकर भी वे पत्‍नी को तंग करते हैं, ताने देते हैं और अकसर मारपीट करते हैं।
रार से पड़ती है दरार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने कई बहसों को भी जन्म दिया है। इस रिपोर्ट पर यूएस स्थित सेंटर फॉर मैरिटल एंड फेमिली स्टडीज के सह-संस्थापक व मनोवैज्ञानिक प्रो. हॉवर्ड मर्खम कहते हैं कि जो लोग वैवाहिक जीवन के पांच साल नाखुश होकर बिताते हैं, उनके बीच नकारात्मक संवाद 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह सच है कि किसी भी अन्य बात की तुलना में नैगिंग प्यार को ज्यादा नष्ट करती है। लगातार टॉक्सिक कम्युनिकेशन जारी रहे तो रिश्ते का दि एंड
होते देर नहीं लगती।
खत्म करें इस आदत को अच्छी बात यह है कि नैगिंग की आदत को खत्म किया जा सकता है। इस व्यवहारिक समस्या को व्यवहारिक बुद्धि व सोच से ही सुलझया जा सकता है। यूं तो नैगिंग सामान्य बातचीत जैसी दिखती है, लेकिन रिश्तों का यह नेगेटिव पैटर्न लंबा खिंचता रहे तो परेशानी बढ़ जाती है। क्योंकि इसमें एक पक्ष लगातार दूसरे की आलोचना करने लगता है।
बातचीत के ऐसे नकारात्मक तरीके को जितनी जल्दी हो, बदलना चाहिए। आपस में बैठ कर संवेदनशील होकर मूल समस्या के बारे में चर्चा करनी चाहिए। क्या हो व्यावहारिक बातचीत का तरीका, यह भी जानते हैंआदेश या निवेदन अपने स्वभाव को बदलें।
व्यवहार में नरमी बरतें और आदेश देने के बजाय विनम्रता से अपनी बात कहें। बात कहने के सही तरीके पर विचार करें। क्या तुम इस हफ्ते में किसी दिन बिजली का बिल जमा कर दोगे, ताकि पेनाल्टी न लगे, यह है सही तरीका काम कराने का। गलत तरीका है, कभी तो तुम बिजली बिल समय पर जमा कर दो, क्या तुम्हें कभी फुर्सत मिलेगी। इसलिए आदेश नहीं, निवेदन करके देखें, सब अच्छा होगा।
दूसरे का पक्ष समङों पार्टनर की जगह खुद को रखकर देखें। वह भी एक वयस्क व्यक्ति है। उसे इतना न टोकें कि वह घर में कैद सा महसूस करने लगे। हर व्यक्ति अपने घर में आजादी से रहना चाहता है और अपने हिसाब से जीना चाहता है।
कितना जरूरी है काम यह भी सोचें कि जिस काम के लिए आप इतने अधीर हैं, क्या वह वाकई इतना जरूरी है कि पार्टनर अपने अन्य जरूरी काम छोड़कर पहले उसे करे? अपनी बात कहकर प्रतिक्रिया का इंतजार करें। लगातार बात न दोहरायें, अन्यथा दूसरा चिढ़ जाएगा। सोचें कि क्या वह काम उसी वक्त होना जरूरी है या उसे कुछ समय के लिए टाला जा सकता है? बीच की राह कहने वाले और सुनने वाले के बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक को लगता है उसकी बात सुनी नहीं जाती और दूसरे को लगता है उसे सराहना तो नहीं मिलती, लेकिन ताने मिल जाते हैं। दोनों ही इससे दुखी होते हैं।
इसलिए लड़ाई भूलकर अपनी दुर्बलताओं से लड़ें और बीच की राह निकालें।
पावर की लड़ाई नैगिंग कई बार सिर्फ जरूरतों के लिए नहीं, बल्कि पावर के लिए भी होती है। इससे तय होता है कि रिश्ते में कौन हावी होना चाहता है। कभी-कभी अनजाने में भी ऐसा होता है। इस मानसिकता को समझने की कोशिश करें और उदारता के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें, क्योंकि रिश्ते में बराबरी जरूरी है।
विनम्रता के बदले विनम्रता अगर एक पक्ष विनम्रता से पेश आ रहा है तो दूसरे को अपने व्यवहार में बेरुखी या आदेश का भाव नहीं रखना चाहिए। यह भी जरूरी है कि दूसरा पक्ष भी विनम्रता से कहे गए काम के प्रति जिम्मेदारी महसूस करे। ऐसा नहीं होगा तो विनम्रता धीरे-धीरे चिढ़, फिर आदेश और फिर क्रूरता में बदल जाएगी।
जूते की जगह ड्राइंग रूम में नहीं, शू रैक में है, ये गंदे मोजे कब तक लॉन्ड्री से बाहर रहेंगे.?
अधिकतर स्त्रियां लगभग रोज ऐसे वाक्य दोहराती नजर आती हैं। व्यवस्थित होना, स्वच्छता रखना, हर काम को बखूबी संभालना, अनुशासन रखना, ये कुछ गुण खासतौर पर स्त्रियों में होने जरूरी समङो जाते हैं।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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