सोमवार, 31 मार्च 2014

नवरात्र में कौन-कौन से पांच दिन होंगे खास



देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र आज से शुरू हो रहा है। इस साल चैत्र नवरात्र के पांच दिन 
बहुत खास होंगे।
घरों-मंदिरों में शक्ति उपासना के लिए विशेष मुहूर्तो में घट स्थापित किए जाएंगे। महापर्व की 
शुरुआत देवी के शैल पुत्री स्वरूप की आराधना से होगी।
इस बार तीज-त्योहार और शुभ योगों का भी संयोग बन रहा है। अंतिम दिवस नवमी पुष्य नक्षत्र 
में आने के कारण यह दिन और भी खास हो गया है। रायपुर के ज्योतिषाचार्य चूड़ामणि तिवारी ने 
बताया कि प्रतिपदा से नवमी तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के 
पांच दिन खास योग-संयोग के कारण इस बार पर्व अतिशुभ हो गया है। इन दिनों में श्रद्धालु 
पूजा-अर्चना, साधना के साथ पुण्यलाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्रि की नवमी पर 
पुष्य नक्षत्र होने से यह दिन विशेष शुभ होंगे। 8 अप्रैल को पुष्य नक्षत्र का योग है। यह 
सुबह 10.30 बजे से अगले दिन 9 अप्रैल की दोपहर 12.59 बजे तक रहेगा। इसमें वाहन, आभूषण
भूमि आदि की खरीदारी करना विशेष फलदायी है। इस दिन सुकर्मा योग भी बन रहा है। भगवान 
श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। 1 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्ध योग बन रहा है। दोनों संयोग सुबह 6.33 से रात 12.59 बजे तक रहेंगे। नवरात्रि के पहले दिन गुड़ी पड़वा यानी नव 
संवत्सर है। इसी दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना होगी। इसके अलावा एक अप्रैल को चेटीचांद 
सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग, 2 अप्रैल को सौभाग्य सुंदरी योग, 4 को श्रीराम राज्योत्सव एवं 
8 अप्रैल को नवमीं के साथ पुष्य नक्षत्र योग है। पंडित चूड़ामणि ने बताया कि देवी का आह्वान 
\लाल फूल और अक्षत से करना श्रेष्ठ होता है। दूर्वा (दूब) का उपयोग वर्जित है। देवी को लाल 
कनेर के फूल, लाल झंडा और लाल चुनरी विशेष प्रिय है। नवरात्रि में स्थापना पूजा, अनुष्ठान और
 हवन रात के समय विशेष फलदायक होता है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ के समय शुद्धता और एकाग्रता पर ध्यान देने की जरूरत है। नवरात्रि में 
मनोकामना ज्योति कलश का विशेष महत्त्व है। मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित 
करने श्रद्धालु मंदिरों मे संपर्क कर चुके हैं।

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कैसे करें त्वचा स्वच्छ



गोरे होने के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं, महंगी क्रीम से लेकर आयुर्वेद के उपचारों से त्वचा को गोरी करने के तमाम तरीके ढूंढते हैं। दुनिया में ऐसी कोई औषधि नहीं है, जो चंद घंटों में त्वचा का रंग बदल दे, लेकिन कुछ उपाय ऐसे हैं, जिनको लगातार प्रयोग में लाने से आपकी त्वचा में निखार आएगा- 
1- गर्मियों में एक बाल्टी गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर कई महीनों तक नहाने से त्वचा का रंग साफ होने लगता है।
2-  सुबह खाली पेट गाजर का जूस पीने से रंग में निखार आने लगेगा।
3- पेट को कब्ज से दूर रखें, पानी खूब पिएं, और चाय- कॉफी का सीमित मात्रा में उपयोग करें।
4- दोनों समय खाना खाने के बाद थोड़ी सौंफ खाने से त्वचा का रंग में निखार आने लगेगा।
इन सब उपायों के साथ कुछ नुस्खे और भी हैं जिनसे त्वचा निखार आने लगेगा और वे हैंह ल्दी पैक, हनी आल्मंड स्क्रब, चंदन, केसर पैक, चिरौंजी का पैक, मसूर दाल पैक, बेसन का उबटन आदि।

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कितनी महफूज है इंटरनेट की दुनिया



आठ महीने पहले एडवर्ड स्नोडेन ने यूएस नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी से जुड़ी कुछ गोपनीय जानकारी सार्वजनिक की थी, जिसके बाद से ही तकनीक और खासतौर पर इंटरनेट की दुनिया में कई तरह की चिंताएं सामने आई हैं।
जगजाहिर हुई इस जानकारी से पता चला कि अमरीकी जासूस और उनके ब्रितानी सहयोगी, आम और खास तमाम लोगों के बारे में हर तरह का ब्योरा जुटाने के लिए इसी इंटरनेट का इस्तेमाल करते रहे हैं। इतना ही नहीं, अमरीकी जासूसों ने सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों के बारे में वह जानकारी जुटाई जो लोग आमतौर पर किसी से साझ नहीं करना चाहेंगे।
यानी इंटरनेट के ढांचे में एक तरह से सेंध लग चुकी है। जैसे बिग- बैंग सिद्धांत के अनुरूप ब्रrांड का विस्तार हो रहा है, उसी तरह तकनीक के मामले में इंटरनेट की दुनिया भी बहुत फैल चुकी है।
इस फैली हुई दुनिया को राउटर्स, केबल्स, डाटा सेंटर और तमाम दूसरे हार्डवेयर की जरूरत थी जो साल 1994 से वर्ष 2013 के बीच कई गुना बढ़ चुके हैं। इंटरनेट की दुनिया में उन कंपनियों और संगठनों की बड़ी अहम भूमिका है जो उच्च क्षमता वाले फाइबर ऑप्टिक केबल्स के जरिए दुनिया भर में एक जगह से दूसरी जगह तक डाटा पहुंचाने का काम करते हैं। इस मामले में गूगल और अमेजन जैसी कंपनियां अव्वल हैं।
डाटा ट्रांसफर
 इंटरनेट पर हम जो कुछ भी करते हैं, वह सारी जानकारी गूगल या अमेजन जैसी किसी कंपनी के पास दर्ज होती है। मसलन लंदन में रहने वाला कोई विद्यार्थी ब्राजील में रहने वाले अपने किसी मित्र को ई-मेल भेजता है, तो उस ई-मेल में छिपी जानकारी पूरे नेटवर्क से होकर गुजरती है और इसी प्रक्रिया में वह जानकारी संबंधित कंपनी के पास भी हमेशा के लिए महफूज हो जाती है। इसी प्रक्रिया में यह जानकारी सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंच जाती है। नवम्बर 2013 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी थी कि यूएस नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने लेवल-3 केबल्स के जरिए गूगल और याहू तक में सेंध लगाई होगी। एक बयान में कंपनी ने बताया था, हम जिस भी मुल्क में काम करते हैं, वहां के कानून से बंधे होते हैं। कई मामलों में कानून हमें किसी भी तरह की जानकारी साझ करने से मना करता है और इस बारे में चर्चा करना हमारे लिए अपराध है।
समुद्र के नीचे बिछी केबल्स की निगरानी
 स्नोडेन ने जो दस्तावेज सार्वजनिक किए थे, उन्हें बीते साल जून में ब्रितानी अखबार गार्डियन ने छापा था।
इससे संकेत मिलता है कि अमरीका और ब्रिटेन के पास उच्च तकनीक वाले जासूसी कार्यक्रम हैं जो इंटरनेट के माध्यम से आने-जाने वाली हर जानकारी को पकड़ सकते हैं।
इसमें समुद्र के नीचे बिछी वे केबल्स भी शामिल हैं जिनके जरिए आपके-हमारे मोबाइल फोन में दर्ज हर ब्योरा एक जगह से दूसरी जगह पहुंचता है। सार्वजनिक हो चुके गोपनीय दस्तावेज बताते हैं कि अमरीकी साङोदार ब्रिटेन का जीसीएचक्यू हर दिन 60 करोड़ संदेशों की निगरानी करता था। इंटरनेट और मोबाइल फोन से जुड़ी इस जानकारी को खंगालने के इरादे से 30 दिन तक कथित रूप से सहेजकर भी रखा जाता था।
हालांकि जीसीएचक्यू ने ऐसी किसी हरकत से इंकार किया है।
अंदाजा लगाना मुश्किल
यूएस नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने इस तरह कितनी और भी दूसरी जानकारी जुटाई, इसका सटीक अनुमान लगाना कठिन है। वहीं इस हरकत की वैधानिकता पर भी राय बंटी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि चरमपंथी तंत्र को तहस-नहस करने के लिए इस तरह की जानकारी काफी अहम साबित हो सकती है। वहीं कुछ यह भी कहते हैं कि इससे आम लोगों की आजादी खतरे में पड़ जाती है।
डाटा पॉवर
वैसे स्नोडेन ने जो कार्य किया है, उससे सरकारी स्तर पर और बड़े स्तर के संगठनों में इंटरनेट के इस्तेमाल के तौर-तरीकों में बदलाव आ सकता है।
पत्रकार ग्लेन ग्रीनवाल्ड के लिए स्नोडेन के दस्तावेजों का विेषण करने वाले सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रूस श्नायर कहते हैं, डाटा, पावर यानी प्रभाव है और डाटा ही मनी यानी पैसा है।ब्रूस श्नायर ने कहा, निगरानी से कहीं बड़ा सवाल यह है कि इस डेटा पर किसका नियंत्रण है। सूचना युग में यह प्रमुख सवाल है। लेकिन तकनीकी जानकारों का कहना है कि इससे ऑनलाइन काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा और साथ ही दुनियाभर में लोगों से जुड़ना भी कठिन हो जाएगा। (साभार:बीबीसी)
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किसी भी परिवार में हो सकते हैं अनुवांशिक रोगों से ग्रसित बच्चे


डॉ. शुभा फड़के

प्रश्न- अनुवांशिक रोगों में ज्यादातर किन आशंकाओं की जांच की जाती है

उत्तर- अनुवांशिक रोगों की जांच के लिए विभिन्न प्रकार के स्क्रीनिंग टेस्ट अलग-अलग आयु वर्ग,
विवाह के पहले 
या बाद में, गर्भावस्था के दौरान या जन्म के पश्चात नवजात शिशुओं में किए जाते हैं। बीटा 
थैलेसीमिया भारत में सबसे आम अनुवांशिक रोगों में से एक है जिसके लिए स्क्रीनिंग टेस्ट शादी 
के तुरंत बाद अथवा गर्भावस्था के शुरुआती एक-दो माह के भीतर कराया जाता है। इस जांच से 
थैलेसीमिया मेजर का पता लगाया जा सकता है। बीटा थैलेसीमिया मेजर रोग से ग्रसित बच्चे को 
हर माह रक्त चढ़वाने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डाउन सिंड्रोम, मंदबुद्धि, बहरापन 
और आंतों व गुर्दे की कुछ विकृतियों का 70-95 फीसदी तक ही पता लगाया जा सकता है।

प्रश्न- क्या गर्भस्थ शिशु में कोई बड़ी शारीरिक विकृति पाए जाने पर उपचार संभव है

त्तर- शारीरिक विकृति की गम्भीरता का पता लगने के बाद ही उसके उपचार के विषय में 
बताया जा सकता है। 16- 20 हफ्ते के दौरान कराए गए एनॉमली स्कैन (एक विशेष प्रकार का 
अल्ट्रासाउंड) 70-95 फीसदी तक शारीरिक विकृतियों की जानकारी देता है। कुछ विकृतियां जैसे 
सिर की हड्डी व रीढ़ की हड्डी के ठीक से न बनने का 95-100 फीसदी तक पता लगाया जा 
सकता है लेकिन कुछ विकृतियां जैसे हृदय में छेद होना, होंठ व तालू का कटा होना, गुर्दे की 
खराबियां 50-70 फीसदी ही पता लगते हैं। आंतों की विकृतियां अल्ट्रासांउड से पता नहीं लगती हैं।
 कुछ विकृतियों को जन्म के बाद ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है लेकिन कुछ विकृतियां 
बच्चे में गम्भीर शारीरिक व मानसिक विकलांगता का कारण हो सकती हैं या फिर जन्म के कुछ 
समय पश्चात बच्चे की मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं।

प्रश्न- क्या एनॉमली स्कैन से गर्भस्थ शिशु में डाउन सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है

उत्तर- नहीं, डाउन सिंड्रोम एक प्रकार का अनुवांशिक रोग गुण सूत्रों में दोष की वजह से होता है। 
एनॉमली स्कैन से कुछ हल्के परिणाम ही देखे जा सकते हैं जैसे- गर्दन की त्वचा में सूजन, हृदय 
में सफेद बिन्दु, आंतों की सफेदी, गुर्दे में पानी इकट्ठा होना, हाथ पैरों की हड्डियों की लम्बाई में कमी होना। हालांकि ये परिणाम सामान्य बच्चों में भी हो सकते हैं लेकिन इनके होने से डाउन सिंड्रोम या अन्य 
गुणसूत्रों का दोष होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न- क्या जन्मजात बहरापन परिवार के किसी अन्य सदस्य को न होने पर भी हो सकता है?

उत्तर- हां, परिवार में पहले सभी सदस्यों के सामान्य रहने के बावजूद बच्चे में जन्मजात बहरापन 
हो सकता है। इसके कई और कारण हो सकते हैं लेकिन आधे से अधिक बच्चों में ये कारण 
अनुवांशिक होते हैं। आमतौर पर प्रति 1000 बच्चों में दो से तीन बच्चे जन्मजात बहरेपन का 
शिकार होते हैं। यह खतरा तब बढ़ जाता है जब मां को गर्भावस्था के दौरान टोक्सोप्लाज्मा, रूबेला 
या साइटोमिगेलो वायरस जैसे इंफेक्शन हुए हों या मां ने गर्भावस्था के दौरान बच्चे के सुनने की 
क्षमता को असर करने वाली दवाइयां खाई हों, बच्चे को जन्म के उपरान्त नवजात केयर यूनिट में 
रखने की आवश्यकता हुई हो, बच्चे को जन्म के तुरंत बाद गंभीर पीलिया हुआ हो या बच्चे के 
सिर, चेहरे या बाहरी कान की बनावट सामान्य बच्चों से अलग हो। इसकी जांच बच्चे के जन्म के 
24 घंटे बाद से एक माह के दौरान कभी भी कराई जा सकती है।

प्रश्न- क्या जन्म के बाद भी अनुवांशिक बीमारियों की जांच संभव है

उत्तर- बच्चे के जन्म के पश्चात दूसरे से चौथे दिन के बीच में कुछ गम्भीर रोगों के लिए 
परीक्षण किए जाते हैं जिनका शीघ्र उपचार मिलने के बाद बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास 
सुचारू रूप से होता है। आमतौर से इन बीमारियों के लक्षण जब तक पता लगते हैं तब तक बच्चे
 के मानसिक विकास को हानि हो चुकी होती है जिसको उपचार के बाद भी ठीक नहीं किया जा 
सकता है। स्क्रीनिंग टेस्ट में बच्चे की एड़ी से रक्त की 3-4 बूंदें एक विशेष फिल्टर पेपर पर ली 
जाती है। जन्म के दूसरे से तीसरे दिन के बीच जांच होने से जल्दी ही बीमारियों का पता चल 
सकता है जिससे फौरन इलाज शुरू करके मंदबुद्धि जैसी विकृतियों से बचा जा सकता है।

प्रश्न- नवजात शिशु की जांच किन बीमारियों के लिए की जाती है

उत्तर- हालांकि पश्चिमी देशों में नवजात शिशुओं में 30 से अधिक बीमारियों के लिए परीक्षण 
किए जाते हैं लेकिन एसजीपीजीआई में इनमें से तीन बीमारियों का परीक्षण किया जाता है।
वे हैं कनजनाइटल हाइपोथाइरॉयडिस्म, बायोटिनिडेस की कमी और गैलेक्टोसिमिया।
अक्सर लोग बातचीत में अनुवांशिकता यानी माता-पिता या घर के किसी अन्य सदस्य से मिले 
गुणों, अवगुणों और बीमारियों की चर्चा करते हैं। असल मायनों में अनुवांशिकता के कई और पहलू 
भी हैं। एक तरफ परिवार के सदस्यों में कोई शारीरिक विकृति होना, मां का बार-बार गर्भपात होना
 व बिना किसी कारण के बच्चों की मृत्यु हो जाने से परिवार में अनुवांशिकता रोग से ग्रस्त बच्चा पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं दूसरी तरफ अनुवांशिक रोगों से ग्रस्त बच्चे ज्यादातर उन परिवारों में 
पैदा होते हैं, जिनके परिवार के अन्य सदस्य सामान्य होते हैं। अनुवांशिक बीमारियां और 
जन्मजात विकृतियां किसी भी परिवार में हो सकती हैं। स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए जितना मां 
की सेहत और खानपान का खयाल रखना आवश्यक है उतनी ही आवश्यकता इस समस्या को 
उचित समय पर पहचानने के लिए जांच की है। मां की उचित देखभाल के बाद भी प्रत्येक 100 में 
से दो से पांच बच्चों में कोई न कोई गम्भीर अनुवांशिक बीमारी या शारीरिक विकृति पायी जाती 
है जो कि बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए हानिकारक होती है। यूं तो अनुवांशिक 
बीमारियां और शारीरिक विकृतियां कई प्रकार की होती हैं लेकिन इनमें अधिक पाई जाने वाली 
बीमारियों की विस्तृत जानकारी के लिए यहां प्रस्तुत हैं संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीटय़ूट ऑफ 
मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) के अनुवांशिक विभाग की विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर 
 डॉ. शुभा फड़के से रिया तुलसियानी की बातचीत के अंश.. डॉ. शुभा फड़के
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