शुक्रवार, 28 मार्च 2014

सिर्फ बहू नहीं ‘बहुमत’



टीवी पर आजकल आ रहा एक विज्ञापन आप सभी ने देखा होगा जिसमें एक महिला अपने पति से 
कहती है कि मुङो इगAोर करोगे तो चलेगा लेकिन हमें ( महिलाओं को) इग्नोर मत करना। भारत 
में 49 प्रतिशत वोट महिलाओं के हैं। यह बात बिल्कुल सही है, इस वक्त महिलाओं को इगAोर 
करना नेताओं के लिए भारी पड़ सकता है और महिलाएं भी इस बात को समझने लगी हैं। इसके 
 आलावा एक निजी चैनल भी महिला वोटरों को उनका अधिकार याद दिलाने की कवायद 
चला रहा है जिसमें बहुओं को बहुमत बताया जा रहा है। पेश है महिला वोटरों पर चर्चा करती 
 अनुषा मिश्रा की रिपोर्ट:

बदल सकती हैं तस्वीर 
आगरा के डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिस से मिले आंकड़ों के अनुसार इस बार कुल 30, 01, 312 वोटर 
वोट देंगे जिसमें 1, 67, 560 पुरुष, 13, 25, 260 महिला और 92 अन्य शामिल हैं। वहीं लखनऊ में 
कुल 32, 05, 798 वोटरों में से 17, 36, 416 पुरुष, 14, 69, 307 महिला और 75 अन्य शामिल हैं। 
इन आंकड़ों पर गौर 
करें तो यह बात सामने आती है कि इस बार के चुनाव में महिलाओं का महत्त्वपूर्ण रोल है। महिला 
वोटरों की यह संख्या इस बात को तो साफ करती है कि महिलाएं अगर चाहें तो अपने वोटों के 
जरिए देश की तस्वीर बदल सकती हैं।
पहचानें अपना हक महिला वोटरों को उनका वोट देने का हक मिल तो गया है लेकिन मुश्किल 
यह है कि वे अपने इस अधिकार को पहचान नहीं पातीं। कई महिलाएं तो ऐसी हैं जो अपने इस 
 अधिकार का प्रयोग करने के लिए ही आगे नहीं आतीं। वे वोट डालने ही नहीं जातीं। महिलाओं को 
यह बात समझनी होगी कि सिर्फ अधिकार मिलने से कुछ नहीं होगा उन्हें अपने इस अधिकार का 
उपयोग भी सही दिशा में करना होगा। एक वोट भी देश का भविष्य बदल सकता है फिर आप तो 
पूरे भारत में 49 प्रतिशत वोटर हैं ऐसे में अपने इस अधिकार को कैसे छोड़ सकती हैं।
लड़ें अपने हक के लिए -
ज्यादातर दल अपने चुनावी एजेंडे में महिलाओं के हित के लिए कोई भी मुद्दा नहीं जोड़ते हैं।  क्योंकि 
वे जानते हैं कि बहुत कम ही महिलाएं ऐसी होती हैं जो मतदान करती हैं ऐसे में उनके लिए कुछ 
करना नेताओं को बेमानी लगता है। अगर महिलाएं चाहे तो राजनीतिक पार्टियां भी उनके मुद्दों को 
लेकर चुनाव लड़ने और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
सिर्फ अलग लाइन से कुछ नहीं होगा -
महिलाएं थोड़े में ही खुश हो जाती हैं इसलिए अगर कोई नेता उनके लिए रेलवे स्टेशन पर अलग 
लाइन या अलग खिड़की बनवाने का वादा भी करता है तो वे खुश हो जाती हैं और उसे वोट देने के 
लिए तैयार हो जाती हैं लेकिन महिलाओं को यह समझना होगा कि सिर्फ अलग लाइन में लगने से 
वे कभी आगे नहीं बढ़ सकतीं और भी बहुत से ऐसे अधिकार हैं जो महिलाओं को मिलने चाहिए।
देती है।
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Source – KalpatruExpress News Papper














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