शनिवार, 22 मार्च 2014

जाने लोअर क्रॉस सिंड्रोम का इलाज क्या है


मैकेनिकल लो बैक पेन (लोअर क्रॉस सिंड्रोम) मुख्यत: शिक्षकों, सिक्योरिटी गार्ड्स, शोरूम्स में काम 
करने वालों, ऑटोरिक्शा चलाने वालों और कम्प्यूटर पर काम करने वालों को होता है।
क्यों होता है
इसके होने का मुख्य कारण है बैठने का गलत तरीका। गलत तरह से बैठने से हिप और कमर की 
 मांसपेशियां अकड़ जाती हैं, जिसकी वजह से मांसपेशियों का सही तरह से मूवमेंट नहीं हो पाता
मांसपेशियों की दिशा बदल जाती है और जोड़ों का फंक्शन असंतुलित हो जाता है। ऐसा इसलिए 
होता है क्योंकि जब मांसपेशियों के किसी भी जोड़ पर ज्यादा बल पड़ता है तो उसमें खिंचाव होता
 है। ऐसे में जो मांसपेशी विपरीत दिशा में होगी वह कमजोर हो जाएगी और कमजोर जोड़ की तरफ
 जाएगी।
ज्वाइंट या जोड़ों के पीछे की मांसपेशियां जल्दी ही कमजोर हो जाती हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल कम
 होता है। दैनिक जीवन में काम करते या उठते-बैठते समय हम छोटी-छोटी चीजों को नजरअंदाज 
करते हैं और यह भूल जाते हैं कि हर दिन गलत तरीके से बैठने की लापरवाही मुश्किल भी बन 
सकती है।
निवारण
मांसपेशियों का खिंचाव फिजियोथेरेपी के जरिए कम किया जाता है। फिजियोथेरेपी में मांसपेशियों की 
थेरेपी की जाती है, जिसमें कुछ तकनीकों की मदद से मांसपेशियों की सुडौलता बढ़ाते हैं और उनकी 
अकड़न कम करते हैं, ताकि मांसपेशियों के फाइबर अच्छी तरह से काम कर सकें। जब मांसपेशियों 
की अकड़न खत्म हो जाती है तब शरीर का भार संतुलित रूप और सही दिशा में निचले हिस्सों पर 
पड़ता है, जिससे मांसपेशियों की कार्यक्षमता बढ़ जाती हैं और कम परिश्रम से ही काम आसानी से हो जाता है। फिजियोथेरेपी में दवाइयों का कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता इसलिए इसके किसी भी तरह के कोई 
साइडइफेक्ट नहीं हैं। यह थेरेपी पूरी तरह सुरक्षित और कारगर होती है।
फिजियोथेरेपी में कुछ मशीनों के द्वारा भी मेकेनिकल लो बैक पेन का इलाज होता है जिसमें शॉर्ट 
 वेव डायोथर्मी, ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिक नर्व स्टीमुलेशन (टीइएनएस) और अल्ट्रासोनिक थेरेपी प्रमुख
 हैं।
समस्याएं
आप जिस कुर्सी पर बैठते हैं उसकी संरचना की वजह से भी कमर में दर्द का खतरा बढ़ता है।
कंप्यूटर या कीबोर्ड की ऊंचाई और दिशा सही न होने की वजह से भी ऐसा होता है।
गलत पॉश्चर में ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी कमर दर्द होता है।
स्पाइन में डिस्क अपनी पोजीशन छोड़ देता है और पीछे खिसक जाता है, नसों पर दबाव पड़ता है
 इससे पीठ में, हिप में और पूरे पैर में दर्द होता है।
लक्षण
मैकेनिकल लो बैक पेन में बैठते और उठते समय कमर के निचले हिस्से में मरीज को असहनीय 
दर्द होता है।
कोई सामान उठाते वक्त तेज दर्द होना इस बीमारी का लक्षण हो सकता है।
यह दर्द ज्यादातर 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होता है। लेकिन लगातार कम्प्यूटर पर काम 
करने वालों को किसी भी उम्र में ये दर्द हो सकता है, यदि वे अपने काम करने और उठने-बैठने के
 तरीके को लेकर सजग नहीं हैं।
इस बीमारी में अक्सर घूमते और झुकते हुए भी दर्द होता है।
दर्द कम होने के बाद यह तरीके अपनाएं
 योगा करने से इस दर्द में काफी राहत मिलती है तैराकी भी फायदेमंद होती है। अगर आप तैरना 
जानते हैं तो इसे दिनचर्या में जरूर जगह दें।
जिम जाएं और वहां अपना नियमित व्यायाम करें।
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज करें।
स्पाइनल एक्सरसाइज करें।
ये सावधानियां बरतें
 अपने कार्यस्थल को अपने शरीर के आराम के हिसाब से व्यवस्थित करें।
कम्प्यूटर, कीबोर्ड और कुर्सी की ऊंचाई को सही प्रकार से सेट करें।
वजन ज्यादा न बढ़ने दें।
लो कैलोरी खाना ही खाएं।
आगे की तरफ न झुकें।
कोई भी सामान अगर नीचे गिर जाता है तो झुककर उठाने की बजाय आराम से बैठकर उठाएं।
सोकर उठते वक्त सीधे उठने की बजाय करवट लेकर बिस्तर से उठें।
सोते समय अगर करवट लेकर लेटते हैं तो घुटनों के बीच में तकिया लगाएं।
जॉगिंग या वॉकिंग करते समय अगर कमर में दर्द महसूस हो तो कुछ वक्त से लिए इसे बंद कर दें 
 और चिकित्सक से मिलकर चेकअप कराएं।
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Source – KalpatruExpress News Papper








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