शनिवार, 26 अप्रैल 2014

हरित क्रांति लाई कीटों की सौगात


हरित क्रांति के बाद से कीटों द्वारा फसलों को पहुंचाए जा रहे नुकसान का 
 प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है जो कि चिंता का विषय है। विश्वव्यापी तापक्रम में इजाफा इसके 
लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके चलते फसलों की उपज कम होने, ज्यादा 
कीट प्रभाव जैसी उलझनें पैदा हो रही हैं।
बढ़ता तापमान कीट विकास और उनके प्रजनन को सीधे प्रभावित करता है। यह पूर्वानुमान 
गाया जा रहा है कि वर्षा की बारम्बारता घटेगी लेकिन इसकी सघनता बढ़ेगी इससे छोटे आकार 
के चेंपा जैसे कीटों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 1960 में कीटों से फसलों को होने वाले नुकसान 
का प्रतिशत 7.2 प्रतिशत से बढ़कर 2000 में 23.3 प्रतिशत हो गया है। इसके लिए समेकित कीट 
 प्रबन्धन यूं तो वातावरण को हानि पहुंचाए बिना कीट समस्याओं को सुलझने में सक्षम है लेकिन 
जलवायु परिवर्तन के कारण कीट प्रबन्धन की कई विधियां भी फेल हो रही हैं। इसके लिए 
दलती जलवायु में नियमित फसल निरीक्षण, कीट पूर्वानुमान, संरक्षित खेती एवं ट्रांसजेनिक 
फसलों पर आधारित कीट प्रबन्धन की नई रणनीतियां तैयार करने की आवश्यक्ता है।
कीट निरीक्षण एवं नियंत्रण-
 निरीक्षण आईपीएम जो समेकित कीट प्रबन्धन की रीढ़ होता है, के लिए इसकी विधि का ज्ञान 
\होना आवश्यक है। इसके माध्यम से यह जाना जाता है कि हानिकारक कीट कौन से हैं और 
लाभदायक कीट कौन से हैं। फेरोमैन प्रपंच, पीला चिपचिपा प्रपंच, फल मक्खी प्रपंच जैसे यंत्रों का 
प्रयोग किया जाता है। इससे बगैर किसी दवा के कीटों की संख्या को नियंत्रित किया जाता है। 
यह भी ध्यान रखना होता है कौन से कीट तेजी से फैलते हैं और उन्हें कैसे रोका जाए।
जैविक क्रियाएं-
 जैविक विविधता कीट और उनके प्राकृतिक शत्रुओं पर बुरा असर डालती हैं। इसके लिए कीटों के 
प्राकृतिक शत्रुओं मसलन फसलों के मित्र कीटों को बढ़ावा देना अति आवश्यक है। इसके लिए 
खेतों के किनारों पर फूलों के पौधों को लगाना चाहिए। धान के खेतों में कीटों की दुश्मन मकड़ी 
की संख्या बढ़ाने के लिए पुराने पुआल के छोटे बण्डल बनाकर डालने चाहिए। धान के बाद गेहूं 
 की फसल लेने वाले इलाकों में शून्य जुताई की विधि अपनानी चाहिए।
जमीन को कु छ दिन ढकने की विधि से परभक्षी कीटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। कुछ 
दवाएं मित्रकीटों को बचाते हुए शत्रु कीटों को मारती हैं। इनमें धान के भूरे फुदके को रोकने के 
लिए बुप्रोफैजिन दवा फुदके को मारते हुए मकड़ी को बचाती है। इसी तरह कार्टेपहाइड्रोक्लोराइड 
और दानेदार काबरेफ्यूरान धान के कीटों के प्राकृत्रिक शत्रुओं के लिए सुरक्षित पाए गए हैं। 
ट्राइकोकार्ड धान के तना भेदक एवं पत्ता लपेटक, मक्का के तना छेदक तथा चना के फली छेदक 
के कीटों के नियंत्रण में सफल है।
इसके अलावा अंतर शस्यन जिमसें टमाटर के साथ गेंदा, पत्तागोभी के साथ टमाटर एवं चने के 
साथ धनिया बेहद कारगर पाया गया है। इसके अलावा कम समय में पकने वाली किस्में भी कीट 
प्रभाव से बच जाती हैं।
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Source – KalpatruExpress News Papper






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