शनिवार, 26 अप्रैल 2014

सत्य ,नियत ,निष्ठा.... परमात्मा का स्वरूप कैसे है ?



मानव जीवन के मूल मन्त्र व् सूत्रधार..................................
आआ ..आत्मविभोर आत्मा

मिलता  कभी  वो कैसे  की पूजा  के वक्त भी
हमको तो अपनी फ़िक्र थी अपना ही ध्यान था

१- आत्मावान व्यक्ति अंदर वह बाहर से एक समान होता है तथा भयमुक्त हो कर मुख पर बात कहता है !
   पल भर को दूसरे व्यक्ति उसकी बात पर ध्यान न देकर अनसुनी कर देते हों लेकिन इतिहास साक्षी है उनके
   संसार से कूच करने के बाद निंदा करने वाले लोगो ने ही अपनी भिन्न-भिन्न प्रकार की दुकानें खोली हैं!

२-  जिस व्यक्ति ने स्वयं आस्तीन में नाग पाले हों उसको जहर की आवश्कता ही क्या है !

३ - जो मानव् स्वयं की तारीफ तो चाहता है दूसरे की अच्छाई पर खामोश रहता है
    वह मात्र दिखावा तो कर सकता है लेकिन चाह कर भी किसी का भला नहीं कर सकता !

४- वह व्यक्ति जो मात्र दूसरे मानव की त्रुटियों का उपहास उड़ाता है उनको दोष मुक्त नहीं कर सकता तो ऐसे
   व्यक्ति को दूसरों की त्रुटियों का उपहास उड़ाने का कोई अधिकार नहीं है !

५- दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत व् रचनात्मक त्रुटियों को दोष मुक्त करने वाला व उलझे हुए धागे को सुलझा कर
   मोती पिरोने वाला ही महान मानव होता है व एसे मानव को अपने प्राणों को आहुति भी देनी पड़ती है !

६- वह व्यक्ति महल में न रह कर चाहे झोंपड़े व् कच्चे घर में ही रहता है यदि उसके पड़ोसी उसकी निंदा करते
   हैं तो ऐसे व्यक्ति को जीने का कोई अधिकार नहीं है बाहर के लोग क्या कहते हैं
   उसकी प्रवाह भी नहीं करनी चाहिए !

७ - बुद्धिमान व्यक्ति इशारा पा कर बात को समझ जाता है मूर्ख को लाख समझाने पर भी उसको बात
    समझाना दाँतों तले चने चबाने जैसा होता है !

८- वह व्यक्ति स्वयं धनवान होते हुए भी अपने कर्मचारियों से मुफ्त खोरी से काम लेने का आदि हो अपने पावँ
   पर स्वयं कुल्हाड़ी मारता है तथा इस बात से अनभिज्ञ है के वह स्वयं उपहास का कारण बना हुआ है !

९- जो व्यक्ति स्वयं की त्रुटियों पर पर्दा डाल कर त्रुटियों से अवगत करवाने वाले मानव पर बिना सोचे-समझे
   दोष लगाता है वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता सदा अपने अहंकार में डूबा रहता है !

१०- वह व्यक्ति जो दूसरों के धर्मों की निंदा व् अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताता है वह कदापि मानव धर्म का
    पालन नहीं कर सकता ऐसा व्यक्ति इंसानियत के नाम पर कलंक के समान है !

११- मानव की कमजोरी रही है वह अपनी बुराई नहीं सुन सकता परन्तु समझदार व्यक्ति खामोश रह कर खामी
   को दूर कर लेता है ! मूर्ख अनसुनी कर देता है ! एवं महान व्यक्ति त्रुटी से अवगत करवाने वाले मानव को
   गुरु स्वरूप आदर दे कर श्रदा सुमन अर्पित करता है !

                है अगर विशवास खुद पर कष्ट सब टल जाएंगे
                देख  लेना  आँधियों  में  भी दिए जल जाएंगे










आपका शुभचिंतक
  गुरु जी' पुरुषोत्तम अब्बी 'आज़र'
  वरिष्ठ सदस्य
  अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन
  कार्यालय:- निकट  जैन मंदिर ..
  भजनपुरा ,दिल्ली
    Mo;- 9818376951 

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