गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

अल्जाइमर के इलाज की उम्मीद



अमरीकी शोधकर्ताओं के मुताबिक ब्लड टेस्ट के जरिए समय रहते अल्जाइमर बीमारी के बारे में 
 जाना जा सकता है। उन्होंने पाया है कि खून में मौजूद दस वसाओं के स्तर के बारे में जांच करके 
अगले तीन वर्षो के दौरान अल्जाइमर के जोखिम को 90 प्रतिशत तक सटीक ढंग से जाना जा 
सकता है। यह शोध जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं और अब इन नतीजों का बड़े स्तर पर 
परीक्षण किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नतीजों की पुष्टि होनी है, लेकिन इस तरह 
 का टेस्ट ही अपने आप में एक कदम आगे बढ़ना है।
अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज की याददाश्त कमजोर हो जाती है। यह एक लाइलाज 
बीमारी है।
बढ़ रहे हैं मरीज-
 इस समय दुनिया भर में इस बीमारी से करीब 4.4 करोड़ लोग पीड़ित हैं और अनुमान है कि 2050
तक ये आंकड़ा तीन गुना हो जाएगा। यह बीमारी गुपचुप तरीके से दिमाग पर असर दिखाती है क
रीब एक दशक के बाद इसके प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी को लाइलाज माना जाता 
है। डॉक्टरों का मानना है कि चूंकि इस बीमारी के बारे में काफी देर से पता चलता है
 इसलिए दवाओं के परीक्षण सफल नहीं हो पाते हैं। इसलिए प्राथमिकता के आधार पर इस बात की 
कोशिश की जा रही थी कि अल्जाइमर के जोखिम का समय रहते पता कर लिया जाए। वॉशिंगटन 
डीसी स्थित जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 525 लोगों के खून के नमूनों का विेषण किया। 
न सभी लोगों की उम्र 70 साल से अधिक थी और यह अध्ययन पांच साल तक चला। उन्होंने 
इनमें से 53 ऐसे लोगों को चुना जिन्हें अल्जाइमर की शिकायत थी या इसके मामूली लक्षण थे और 
उनकी तुलना 53 ऐसे लोगों के खून के नमूनों से की गई जो मानसिक रूप से मजबूत थे।
वसाओं में बदलाव-
 उन्होंने पाया कि दोनों समूहों के बीच दस लिपिड या वसाओं के स्तर में अंतर था।
इसके बाद जब शोधकर्ताओं ने दूसरे खून के नमूनों को देखा, तो पाया कि इन वसाओं के आधार पर 
आने वाले सालों में अल्जाइमर के जोखिमों का अंदाजा लगाया जा सकता है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी 
मेडिकल सेंटर में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर हावर्ड फेडरॉफ ने बताया, मैं मानता हूं कि ऐसे किसी 
परीक्षण की काफी जरूरत है।
लेकिन इलाज के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले कई लोगों पर इसका प्रयोग करना होगा। 
अभी ये एकदम साफ नहीं है कि किन वजहों से खून में इन वसाओं में बदलाव आता है, लेकिन 
अल्जाइमर का टेस्ट सफल होने से इस बीमारी के शुरुआती दौर में ही मरीजों का इलाज और शोध 
किए जा सकेंगे। अल्जाइमर रिसर्च यूके के डॉ. साइमन रिडले ने इन नतीजों को उत्साहवर्धक बताया 
और कहा कि खून की जांच आगे की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।
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Source – KalpatruExpress News Papper















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