मंगलवार, 27 मई 2014

.ताकि योग्य को मिले पदोन्नति



कंपनी में योग्य कर्मचारियों के नैतिक बल को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें समय रहते पदोन्नत किया जाए। कंपनी में अपने काम को मिल रही पहचान से ही उनका उस कंपनी के साथ जुड़ाव बढ़ता है। किसी कर्मठ कर्मचारी को प्रमोशन मिलने पर उसके काम को भी पहचान मिलती है। वेतन वृद्धि और प्रमोशन की प्रक्रिया के दौरान अक्सर बॉस ऐसे व्यक्ति की तलाश में रहता है, जिसे सिर्फ फौरी तौर का प्रमोशन देने के बजाय वाकई कंपनी में प्रमोट किया जाए। इस वास्तविक प्रमोशन का अर्थ उस कर्मचारी की प्रोफाइल, वेतन, जिम्मेदारियों और अधिकारों में वृद्धि करने से है। ऐसा प्रमोशन कंपनी के हर कर्मचारी को नहीं मिलता। यह उसे ही मिलता है, जिसमें कंपनी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जिम्मेदारी उठाने की क्षमता होती है। अपने कर्मचारियों के समूह में ऐसे सर्वश्रेठ कर्मचारी को तलाशने के लिए कई स्तरों पर उसका आंकलन करना जरूरी होता
है।
कैसा रहा प्रदर्शन-
 किसी भी कर्मचारी की दक्षता का पता लगाने के लिए उसकी परफॉर्मेस के रिकॉर्ड देखे जाते हैं। ये सभी रिकॉर्ड आपके पास होंगे ही। इनका सही विश्लेषण करके ही बेहतर कर्मचारी पहचान की जा सकती है। बहुत बार ऐसा होता है कि काम करता कोई और है और उसका प्रेजेंटेशन कोई और कर जाता है। जिम्मेदारियों के बंटवारे का पूरा ब्यौरा आपके पास होगा तो आप जान पाएंगे कि प्रोजेक्ट का जो हिस्सा सबसे बढ़िया था, उस पर असल मेहनत थी किसकी? अगर आपके पास सही जानकारी नहीं होगी, तो आप सही परफॉर्मेस संबंधी सही फैसला नहीं ले पाएंगे। इसके लिए शुरू से ही काम का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
जब हो जाए बराबरी-
 अक्सर प्रमोशन में बराबरी की स्थिति आने पर उम्र की वरिष्ठता या शैक्षणिक डिग्रियों की संख्या को आधार मानते हुए किसी एक व्यक्ति को प्रमोट कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आप पहले से मापदंड तय कर दें।
बराबरी की स्थिति के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यताएं, अनुभव, उम्र आदि का पूरा ब्यौरा रखें, ताकि बाद में किसी कर्मचारी को पक्षपात महसूस न हो।
बरतें निष्पक्षता-
 प्रमोशन की व्यापक प्रक्रिया का कोई फायदा नहीं है, यदि फैसला लेने में निष्पक्षता न बरतें। आपकी प्राथमिकता यह रहनी चाहिए कि अच्छा काम करने वाले को उसका हक मिले। यदि किसी पसंदीदा एम्प्लॉई को फायदा पहुंचाने या किसी एम्प्लॉई विशेष को नुकसान पहुंचाने के इरादे से काम करेंगे तो बाकी एम्प्लॉइज में भी गलत संदेश जाएगा। किसी एक ही सीनियर की बात पर यकीन करने के बजाय कई सीनियर्स से एम्प्लॉई के बारे में फीडबैक लें। जेंडर या कास्ट के आधार पर पक्षपात कतई न करें। प्रमोशन देते समय आपको सबसे पहले काम को आधार बनाना चाहिए, इसके बाद ही सही निर्णय कर पाएंगे।
तुलना भी जरूरी
कई बार कर्मठ और समर्पित कर्मचारी भी किसी समस्या की वजह से किसी छमाही या वर्ष विशेष में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। इसका अर्थ यह नहीं कि उन पर निकम्मेपन का ठप्पा लगा दिया जाए। प्रमोशन से पहले आप उसे सुधार का अवसर दे सकते हैं।
प्रतिपुष्टि जरूर लें-
 प्रमोशन की प्रक्रिया में जितना जरूरी किसी सीनियर से रिपोर्ट लेना है, उतना ही जरूरी उस एम्प्लॉई का फीडबैक या प्रतिपुष्टि लेना भी है। प्रमोशन पर फैसला करने से पहले उनसे फीडबैक फॉर्म भरवाएं। इसमें ऐसे कॉलम बनाएं, जिनमें वे अपनी दिक्कतों को बता सकें।
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Source – KalpatruExpress News Papper






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