शुक्रवार, 23 मई 2014

कहीं सिरदर्द न बन जाए पेइंग गेस्ट



पढ़ाई, करियर, सपने। वजहें कई हैं जिनके कारण आजकल महानगरों में छोटे शहरों, कस्बों और गांवों से आकर अकेली लड़कियां रह रही हैं।
अकेली लड़कियों को एक तो अजनबी शहर में मकान मिलना मुश्किल होता है और अगर मिल भी जाए तो उन्हें अकेले रहने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
घर से दूर घर जैसे माहौल की तलाश को बहुत हद तक खत्म करती है पेइंग गेस्ट जैसी सुविधा। जरूरी है कि इसे अपनाने वाला और इस सुविधा को देने वाला दोनों ही कुछ नियम-कायदों का ध्यान रखे।
पेइंग गेस्ट के तौर पर रहने में कई सहूलियतें हैं तो कई तरह की समस्याएं भी। पेइंग गेस्ट एक नई और तेजी से लोकप्रिय हो रही संस्कृति है, इसलिए इसके कुछ निश्चित नियम- कायदे भी हैं। अगर उनका पालन न किया जाए तो पेइंग गेस्ट पेनिंग गेस्ट बन जाता है। पेइंग गेस्ट का मतलब होता है कि मकान मालिक के साथ उसके मकान में रहना। इसके एवज में उसे हर महीने एक निश्चित रकम का भुगतान करना पड़ता है।
पेइंग गेस्ट दरअसल सामंजस्य की संस्कृति है, जो व्यक्ति आपको बतौर गेस्ट अपने घर में रखता है उसे आर्थिक आय हो जाती है और जो व्यक्ति पेइंग गेस्ट के बतौर रहता है, उसे तमाम तरह की चिंताओं से मुक्ति देने वाला आश्रय मिल जाता है, लेकिन यह आपसी सामंजस्य का गणित तब बिगड़ जाता है, जब दोनों पक्षों में से कोई एक इस संस्कृति के नियम-कायदे का उल्लंघन करता है।
दरअसल, पेइंग गेस्ट के बतौर कहीं रहने के पहले आपको बैठकर सोचना चाहिए कि क्या आप इस रूप में कुछ निश्चित नियम-कायदों से बंधी जिंदगी जी सकती हैं। ठीक इसी तरह किसी को अपने घर में पेइंग गेस्ट रखने के पहले इस बात पर सोचना चाहिए कि क्या हम किसी को अपने यहां रखकर उसके साथ बिना तनावग्रस्त हुए रह सकते हैं।
ताकि न हो बहस-
 दोनों में से किसी पक्ष को बाद में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए जरूरी है कि दोनों पक्ष ईमानदारी से पहले एक समझोता-पत्र तैयार कर लें और फिर उसका कड़ाई से पालन करें।
शीतल वर्मा आगरा के संजय प्लेस में बतौर पेइंग गेस्ट रह रही हैं।
आजकल अक्सर उसके मकान मालिक उसे टोकते रहते हैं।
दरअसल, आइएएस की परीक्षाओं की तैयारी कर रही शीतल देर रात तक पढ़ती है, जिस कारण वह लाइट जलाती हैं।
मकान मालिक को इसमें आपत्ति है।
वह नहीं चाहते कि शीतल देर रात तक पढ़ाई करे, क्योंकि इससे उनका बिजली खर्च बढ़ता है, जबकि शीतल के लिए यह संभव ही नहीं है।
कुछ महीनों दूर इम्तिहान हैं, इसलिए उसका दिन-रात पढ़ना हर तौर पर जरूरी है। दिक्कत यह है कि दोनों ही पक्षों ने शुरू में यह बात स्पष्ट नहीं की थी।
हालांकि शीतल ने मकान मालिक को यह तो बताया था कि वह रात में पढ़ा करेगी, लेकिन उसने यह नहीं बताया था कि वह देर रात तक पढ़ा करेगी और न ही मकान मालिक को यह अंदाजा था कि वह कितनी देर तक पढ़ा करेगी। नतीजतन आजकल मकान-मालिक और शीतल के बीच रह-रहकर बहस हो जाती है। बहरहाल, यह अकेली शीतल और उनके मकान मालिक के बीच की ही समस्या नहीं है। सच तो यह है कि पेइंग गेस्ट के बतौर रहने वाले न जाने कितनी लड़कियों और लड़कों को और न जाने कितने मकान मालिकों को इस तरह के तनाव से गुजरना पड़ता है।
यदि मकान मालिक हैं :-
1-     यदि आपने अपने घर में पेइंग गेस्ट रखा है और हर महीने एक निश्चित भुगतान भी लेते हैं तो अपने गेस्ट को जरूरी सहूलियतें मुहैया कराना आपका फर्ज है।
2-     यह पहले से खुलासा कर लें कि आपका गेस्ट शाम को कब तक घर वापस लौटेगा। घर वापस लौटकर उसकी गतिविधियां क्या होंगी वगैरह।
3-     पहले से ही एक शर्त-पत्र तैयार कर लें, जिसमें आप अपने गेस्ट को बता दें कि वह क्या-क्या कर सकता है,वह घर कब तक लौट सकता है आपकी खान-पान की आदतें क्या हैं वह अपने किसी दोस्त को घर ला सकता है या नहीं, उसे घर वालों की गैर मौजूदगी में घर की चाबी दी जाएगी या नहीं, आदि।
अगर पेइंग गेस्ट हैं : -
1-     जिस घर में रह रहे हैं, उसके नियम-कायदों को मानें।
2-     घर के टेलीफोन और दूसरी ऐसी सुविधाओं का निजी फायदा न उठाएं, जिनके लिए भुगतान न करते हों।
3-     पहले से इस बात को स्पष्ट कर लें कि आपके खान-पान की आदतें क्या हैं। अगर मकान मालिक शाकाहारी है तो मांसाहार की न तो इच्छा जताएं और न ही घर में लाकर खाने की कोशिश करें।

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Source – KalpatruExpress News Papper



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