गुरुवार, 19 जून 2014

प्रायश्चित और प्रार्थना का दिन गुड फ्राइडे



कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे-
रोमन कैथोलिक चर्च में गुड फ्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मनाते हंै, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन कर सकते हैं। हालांकि, वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले मछली खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है।
रोमन रीति के अनुसार सामान्यत: पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता, जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये। प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल पस्सिओं ऑफ द लॉर्ड की सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है।
पूजा वेदी पूरी तरह से खाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता। प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में जल का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र खाली किये जाते हैं। ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ्राइडे अथवा पवित्र शनिवार को घंटियां नहीं बजाने की परम्परा है।
पैशन ऑफ द लॉर्ड के उत्सव का आदर्श समय अपराह्न् तीन बजे है। इस समय पादरी के पहनावे का रंग लाल होता है। 1970 से पहले पहनावे का रंग काला होता था, केवल कम्युनियन वाला हिस्सा बैगनी रंग का होता था। 1955 से पहले पूरा पहनावा ही काला होने का विधान था। अगर कोई बिशप यह अनुष्ठान संपन्न करता है, वह एक सादा मुकुट पहनता है। प्रार्थना के तीन भाग होते हैं- बाइबिल और धर्म ग्रंथों का पाठ, क्रॉस की पूजा और प्रभु भोज में सहभागिता।
बाइबिल पाठ के पहले भाग में प्रभु यीशू के प्रति प्रेम और गुणगान की आवृत्ति या गायन होता है जो अक्सर एक से अधिक पाठकों या गायकों द्वारा किया जाता है। इस प्रथम चरण में प्रार्थना की एक श्रृंखला होती है जो चर्च, पोप, पादरी और चर्च में आने वाले गृहस्थों, प्रभु ईसा मसीह में विश्वास नहीं करने वालों, भगवान पर विश्वास नहीं करने वालों, सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने वालों और विशेष तौर पर जरूरतमंद लोगों के लिए की जाती है।
गुड फ्राइडे के त्यौहार के दूसरे चरण में क्रॉस की पूजा की जाती है। एक क्रूसीफिक्स जिसमें एक खास पारम्परिक ढंग से यीशु के लिए गीत गाये जाते हैं।
हालांकि, यह जरूरी नहीं है फिर भी यह धार्मिक समागम आम तौर पर वेदी के पास होता है, जिसमें सत्य और निष्ठा के साथ सम्मान व्यक्त किया जाता है और खास तौर पर व्यक्तिगत रूप से जब प्रभु यीशू के प्रति प्रेम भाव के गीत गाये जा रहे हों।
इसका तीसरा भाग होता है पवित्र प्रभु भोज का, जो इस त्यौहार की अंतिम कड़ी है। यह शुरू होती है आवर फादर के साथ लेकिन, रोटी तोड़ने की रस्म और इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता। पवित्र गुरुवार की प्रार्थना सभा में अभिमंत्रित प्रभु प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है।

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Source – KalpatruExpress News Papper








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