गुरुवार, 19 जून 2014

युवाओं को लग रही है इंटरनेट की लत



युवाओं के लिए आज इंटरनेट के बिना रहना नामुमकिन सा हो गया है और यह सिलसिला तब से 
तेज हो गया है, जब से लोगों के हाथ में मल्टीमीडिया फोन आया है। कहीं जाने के लिए रिजव्रेशन 
कराना हो या बिल भरना हो, रुपये ट्रांसफर करने हों या दूर बैठे किसी दोस्त से आमने-सामने बात 
करनी हो, इंटरनेट के जरिए ये सब बहुत आसान हो गया है। लेकिन, इसका दूसरा पहलू यह भी है 
कि अब इंटरनेट एक आदत नहीं, लत बनता जा रहा है। लोगों के लिए इंटरनेट के बिना रहना 
मुश्किल हो रहा है। अगर कुछ घंटों के लिए भी किसी का इंटरनेट का कनेक्शन बंद हो जाए तो वह 
बेचैन हो जाता है।
24 साल की स्नेहा की लव मैरिज हुई थी लेकिन शादी के कुछ वक्त बाद ही उसका तलाक हो गया।
वजह थी इंटरनेट एडिक्शन।
स्नेहा को हर वक्त नेट पर कुछ न कुछ करते रहना बहुत पसंद था, जिसके चलते वह अपने पति 
को समय भी नहीं दे पा रही थी।
जब कई बार समझने पर भी वह नहीं मानी तो उसके पति ने उसके तलाक दे दिया। 17 साल का 
रोनित अक्सर अपनी क्लासेस बंक करता है।
उसने अपने ज्यादातर दोस्तों से मिलना-जुलना बिल्कुल बंद कर दिया है क्योंकि ज्यादातर समय 
 वह ऑनलाइन काउंटर स्ट्राइक गेम खेलते गुजारता है। 22 साल के सुहास को हर दस मिनट में 
सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अपना स्टेटस अपडेट करने की लत है। इसमें उसे अपने खाने-पीने का 
भी होश नहीं रहता। 35 साल के विनीत हर समय नेट पर देश-दुनिया की बातें जानने में लगे रहते 
हैं। आगरा के और भी कई लोग इंटरनेट यूज करने की उस बीमारी का शिकार हो रहे हैं, जिसे 
एआईडी यानी इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर कहते हैं।
क्या है इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर?-
 नेट का हद से ज्यादा और समय काटने के लिए उपयोग करने को इंटरनेट एडिक्शन डिसआर्डर 
कहा जाता है। यह एडिक्शन उस वक्त और बढ़ जाता है, जब गेमिंग, पोर्नोग्राफी और सोशल 
नेटवर्किग साइट्स पर यूजर समय बिताने लगता है। यह स्थिति ज्यादा ऑनलाइन शापिंग के कारण 
भी बन सकती है। कई युवा इस समय कंपल्सिव इंटरनेट हैबिट (इंटरनेट से जुड़ी बाध्यकारी आदत)
 के शिकार है। यह आईएडी से पहले की स्टेज मानी जाती है। यहां से एडिक्शन की शुरुआत होती 
है।
डिसआर्डर के लक्षण-
1-     हर दिन पांच से दस घंटे ऑनलाइन होना।
2-     घर से बाहर निकलने का वक्त कम होते जाना।
3-     खाने और काम करने में कम समय बिताना, खाना मॉनीटर के सामने ही खाना।
4-     दोस्तों और परिवार से कतराना।
5-     मेल बॉक्स दिन में कई बार चेक करना।
6-     खुद को मंझ हुआ नेट यूजर समझने लगना।
7-     पढ़ाई करते हुए भी ऑनलाइन रहना।
8-     अपने रूम में अकेले रहते हुए राहत महसूस करना।
बन रही है मानसिक विकृति-
 कुछ बड़े शहरों में तो में यह मानसिक बीमारी इस कदर बढ़ चुकी है कि कई युवाओं को स्वास्थ्य 
सुधार केंद्र में भर्ती कराना पड़ रहा है।
आगरा के युवाओं में इस बीमारी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। कई मामलों में परिस्थिति इतनी 
गंभीर हो जाती है कि यदि इस पर काबू नहीं पाया गया तो समाज में एक नई विकृति पैदा हो 
सकती है।
बड़े शहरों का बुरा हाल-
 इंटरनेट प्रयोग करने के मामले में भारत एशिया का तीसरा और विश्व का चौथा देश बन गया है।
दिल्ली और मुंबई जैसे कई बड़े शहरों में तो इंटरनेट एडिक्टेड क्लीनिक की शुरुआत भी हो चुकी है।
 यहां कई माता-पिता अपने बच्चों को इंटरनेट की लत छुड़ाने के लिए एडमिट करा रहे हैं। भारत में
 इंटरनेट यूजर्स की उम्र 14 से 40 के बीच है, यानी युवा पूरी तरह इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। 
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के रिसचर्स ने एक प्रयोग के तहत 14-21 साल के ऐसे युवाओं की 
ब्रेन मैंपिंग से पता चला कि उनमें से आधे इंटरनेट एडिक्शन डिसआर्डर के शिकार हो चुके थे। इनके 
दिमाग में वही लक्षण पाए गए जो एक शराब और जुआ खेलने के आदी व्यक्ति में पाए जाते है।
भावनात्मक तौर पर कमजोर हो जाते हैं-
 मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सारंग धर बताते हैं कि इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति 
अक्सर भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं। इन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आने लगता है और अपने 
ऊपर इनका नियंत्रण खत्म होने लगता है। दरअसल इंटरनेट पर वक्त बिताने वाले लोग म्यूट 
कम्युनिकेशन ही करते हैं, जिससे वे अवसाद में आ जाते हैं। यह भी एक तरह का ऑब्सेसिव 
कम्पल्सिव डिसऑर्डर होता है, जिसमें व्यक्ति को एक ही काम करने की लत लग जाती है। कई 
युवाओं की हालत ये हो चुकी है कि वे किसी दिन नेट यूज नहीं करें तो उन्हें अजीब सा महसूस 
होने लगता है। यदि वे दोस्तों और परिवार में मिलने-जुलने के बजाय ज्यादा समय नेट पर गुजार 
रहे हैं तो यह इंटरनेट एडिक्शन डिसआर्डर का पहला लक्षण है।
इंटरनेट प्रयोग करने के मामले में भारत एशिया का तीसरा और विश्व का चौथा देश बन गया है।
1-     60% युवा सोशल नेटवर्किग साइट और ऑनलाइन गेम्स पर दिन के पांच घंटे से ज्यादा समय 
बिता रहे हैं।
2-     25% युवा दिन में आठ घंटे ऑनलाइन रहते हैं। फेसबुक, ऑरकुट, ट्विटर, गेमिंग साइट्स पर सबसे 
ज्यादा हिट्स होते हैं।
3-     40% युवा इंटरनेट एडिक्ट होने से दोस्तों से मिलने में कतराने लगे हैं। ये परिवार की गतिविधियों 
में भी कम हिस्सा ले रहे हैं।
4-     50% युवाओं के पास स्मार्ट फोन हैं। वे इसका सबसे ज्यादा प्रयोग नेट के लिए कर रहे हैं। आठ 
घंटे से ज्यादा ऑनलाइन रहते हैं।

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Source – KalpatruExpress News Papper





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