शनिवार, 7 जून 2014

ताकि आपको मिले एक अटूट सहारा



सच ही तो है.. जिंदगी के मुश्किल दिनों में अगर एक कंधा भी सर रखने को मिल जाए तो वह खुदा की नेमत ही लगता है। फिर कई जिम्मेदारियों से घिरी हुई कामकाजी महिला के लिए तो यह आसरा तपती धूप में ठंडे पानी के झरने जैसा हो जाता है। मुश्किलें किसके जीवन में नहीं आतीं।
लेकिन मुश्किल समय में अगर कोई अपना आस-पास हो, जिस पर हम भरोसा कर सकें, तो जीवन की चुनौतियों से लड़ने का हौसला मिल जाता है। अगर ऐसा साथ हर व्यक्ति को मिल जाए तो शायद मानसिक परेशानियों का प्रतिशत काफी हद तक कम हो जाए और हताशा में लोग गलत कदम उठाने से बच जाएं।
हर कामकाजी औरत को एक बहुत करीबी और अच्छा चाहने वाले अपने की जरूरत तो होती ही है, जो दोस्त की तरह सब कुछ सुनने को तैयार रहे, चाहे वह आपकी मां हों, पिता हों, भाई- बहन, ननद, भाभी, कोई मित्र या फिर सहकर्मी।
एक ऐसा व्यक्ति, जो आपके सुख-दुख का साङोदार हो सके, आपकी परेशानियों, तनाव और ऑफिस की तमाम पॉलिटिक्स के बीच आपको मानसिक संबल दे सके, आपको भले ही मार्गदर्शन न दे पाए, लेकिन एक सकारात्मक माहौल आपके आस-पास बनाए रखे।
जब हम अकेले हों और कभी भी हम दुनिया में किसी की तरफ भरोसे की नजरें उठाकर देखें तो कोई हो जो आपके करीब आकर यह भरोसा दिला सके कि हर हालत में वह आपके साथ है। इसीलिए जीवन में कुछ अच्छे और अच्छा चाहने वाले लोग जरूर होने चाहिए लेकिन इनमें से कोई एक ऐसा आवश्यक है, जिस पर आप न केवल हक दिखा सकें बल्कि कई बार जरूरत पड़ने पर अपने मन की भड़ास निकालकर शांत भी हो सकें। बावजूद आप पर गुस्सा करने को वह आपको सहारा देकर दुबारा खड़े होने की ताकत प्रदान करे। ऐसा साथ एक कामकाजी महिला के लिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि वह घर से लेकर बाहर तक विपरीत हालातों और अजीबोगरीब लोगों का सामना करती है। अक्सर इनमें कुछ हालात ऐसे होते हैं, जिससे उसका नारी मन असहज हो जाता है। फिर वह असहजता कई बार उसे अंदर से कमजोर बनाने लगती है, तब उसे जरूरत महसूस होती है किसी ऐसे अपने की जो उसका मनोबल बढ़ाये, उसकी बातें सुने और उसे फिर से खड़े होकर मुकाबला करने की उसकी ताकत का एहसास करा सके। यह सहारा आंतरिक तौर पर उसको हिम्मत प्रदान करता है, जिससे वह दुबारा अपनी मंजिल की तरफ दोगुने उत्साह के साथ बढ़ने लगती है। इससे वह कामकाजी महिला अपने जीवन में उत्साह और ऊर्जा महसूस करती है कि कोई मेरा अपना है, जिसे मैं हर समय, हर मुश्किल में याद कर सकती हूं। ऐसा नहीं है कि सहारे की जरूरत सिर्फ कामकाजी महिलाओं को ही होती है। पुरुष भी कई मामलों में भावुक होते हैं। कई पुरुष ऐसे होते हैं जिन्हें कार्यस्थल की राजनीति से कोई लेना- देना नहीं होता और वे सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देते हैं। ऐसे पुरुषों को भी एक ऐसे साथी की जरूरत होती है जिस पर वे अटूट विश्वास कर सकें। इसलिए जरूरी है कि आप अपने दोस्तों का ेऐसा सर्कल बनाएं जो आपके अच्छे-बुरे दिनों में हमेशा आपके साथ खड़े रहें।
एक ऐसा व्यक्ति, जो आपके सुख-दुख का साङोदार हो सके, आपकी परेशानियों, तनाव और ऑफिस की गंदी राजनीति के बीच आपको मानसिक संबल दे सके, आपको भले ही मार्गदर्शन न दे पाए, लेकिन एक सकारात्मक माहौल आपके आस-पास बनाए रखे।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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