शुक्रवार, 27 जून 2014

रिसर्च



पांडेय बेचन शर्मा उग्र भक्ति ने साग्रह कहा - भगवान!
ज्ञान ने सावधान उत्तर दिया - अनुमान!
निकट ही विश्वन-कलाकार धोखादेव भी बैठे थे। उन्होंने परम श्रद्धा से पुलकित मुख बना, अपने 
गुरुदेव का नाम लेने के पहले आदर के लिए कान ऐंठ, गंभीर स्वर में, दावे से कहा - सबमें 
प्रधान - शैतान!
भगवान से हैरान मनुष्य ने एक दिन किसी विचित्र मानस के निकट भक्ति, ज्ञान और धोखादेव 
की उक्ता बातें दूर से सुनीं। और, वह नोन-सत्तू बांधकर शैतान की तलाश में निकल पड़ा।
राह में सोचने लगा - धोखादेव भी कोई मामूली हस्ती नहीं है, वह विश्व-कलाकार हैं। जरूर ही 
उन्होंने शैतान से साक्षात्कार किया होगा।
हे शैतान देव! मनुष्य कामना करने लगा - कहां मिलोगे तुम? मैं तुम्हारी महिमा अपनी आंखों से 
देखना चाहता हूं। तुम्हारे प्रसाद से महान बनना चाहता हूं।
नाम लेते ही शैतान मनुष्य के सामने हाजिर.. मनुष्य ने साश्चर्य देखा, शैतान गोरे रंग का था।
उसने सोचा - जरा नादानों की मूर्खता तो देखो!
लोग इन्हें काला कहते हैं! मनुष्य ने देखा - शैतान हवा गाड़ी में, एक अल्प-वसना सुंदरी के साथ,
सुर- मत्त बैठा था! सुराहियों और प्यालों से हवागाड़ी महक और चमक-दमक रही थी। शैतान ने 
मंद मुस्कराकर इंसान से दरियाफ्त किया कि उसने उसे क्यों याद किया है? आपसे मैं अपरिचित 
हूं। मनुष्य ने श्रद्धा से उत्तर दिया आपकी महिमा तो सुन चुका हूं, लेकिन एक बार अपनी आंखों 
देखकर विश्वास करना चाहता हूं क्योंेकि यह युग प्रत्यक्ष और प्रमाण का है।
सड़क से तनिक दूर पर जो पगडंडी थी, उसी पर एक सुंदर बालक बांसुरी बजाता जा रहा था।
पगडंडी और बालक को दिखाकर शैतान ने मनुष्य से कहा- गला घोंटकर उस बालक को पहले 
मार डालो!
तभी मेरी महिमा देख सकोगे। क्यों? मनुष्य कुछ समझ न सका।
विश्वास की राह में क्यों की गाड़ी न अड़ाओ!
यदि मेरी महिमा देखनी है, तो.. पहले उस बालक का बलिदान करो! मैं आसमान को जमीन पर
 उतार सकता हूं। सोने की बरसाती झड़ी लगा सकता हूं।
इस नन्हें से संसार को अपने किसी भी भक्त की मुट्ठी में कर सकता हूं। देखो, बालक बांसुरी 
बजाता हुआ, अब तो दूर चला गया - मुङो देर हो रही है।
उत्सुक मनुष्य सुंदर बालक की ओर झपटा, उसका खून करने के लिए!
शैतान और बांसुरीवाले बालक के बीच में जो पेड़ों का एक झुरमुट था, वहीं इंसान को भगवान,
बिना बुलाए, बे-तलाश मिले।
कहां सनके जाते हो?
बांसुरीवाले का गला टीपने!
शैतान की इच्छा से - क्यों?
जबान संभालो! वह शैतान नहीं, संसार का महासम्राट है। शहंशाह के राज में विद्रोही? तू कौन है?
हट! मैं इस समय राजसेवा में तत्पर हूं।
सावधान! नादान इंसान! पछताएगा शैतान के चक्कर में पड़कर। संसार का सम्राट वह नहीं, मैं 
हूं - भगवान!
तू सोने की झड़ी लगा सकता है?
सोने की झड़ी से पानी की बरसात विशेष जीवन देती है। सोने की चंग पर चढ़कर लोग नरक 
जाते हैं, इसीलिये उसे मैंने लोगों की आंखों से दूर, पहाड़ और पृथ्वी की छाती में छिपा दिया है।
हि:! गप्पी! अच्छा, स्वर्ग को पृथ्वी पर उतार सकता है तू?
मैं न तो आसमान को जमीन पर उतारता हूं, और न पृथ्वी को पाताल पर। किसी को पद-भ्रष्ट 
करना शैतान का काम है।
चल! जिसमें चमत्कार नहीं, उसे भगवान नहीं मानता। मैं चमत्कार देखूंगा। हट सामने से!
भगवान को - बात मानिए - ठुकराकर मनुष्य शैतान के इशारे से हत्या के लिए दौड़ पड़ा।
सुंदर बालक की सुरीली बांसुरी एकाएक बंद हो गई! हवागाड़ी वाले शैतान के स्फटिक-पात्र की 
मदिरा का रंग श्वेत से रक्त-सुवर्ण हो गया।
हत्या करते ही मनुष्य की पीठ पर शैतान का हाथ थपक उठा! वह जरा भी न डरा। स्वार्थ के 
लिए खून करने से उसका दिल ठंडा, सख्त और मजबूत हो गया था। मुर्दे के ठीक नीचे गहरा 
खोदो। शैतान ने परम प्रसन्न हो मनुष्य से कहा - इस खुदाई में तुम्हें सोने की खान मिलेगी। 
स खान की मदद से तुम अमीर बनो। फिर जुआ, शराब, सुंदरियां और हत्यावि नाश दिन-दहाड़े 
करो! इन्हीं तीव्र सत्कर्मो से मैं संतुष्ट रहता हूं। मेरे राज में, मेरी कृपा से, तुम्हारा कोई बाल भी 
बांका न कर सकेगा! आप महान हैं शैतान! कृतज्ञ मनुष्य ने कहा।
तू भी मेरा भाई है, मनुष्य!
मुस्कराकर शैतान ने इंसान को जवाब दिया, और उस अर्धनग्न सुंदरी को चूमता, बालक के शव 
को हवागाड़ी से कुचलता वह चलता बना!
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Source – KalpatruExpress News Papper













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