रविवार, 1 जून 2014

ऐतिहासिक नगरी विदिशा



विदिशा मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी है। ऐतिहासिक नगरी होने के कारण विदिशा की प्राचीन इमारतें और स्थापत्य दर्शनीय हैं।
इसके अतिरिक्त यहां प्राकृतिक स्थल और धार्मिक महत्त्व के स्थान भी देखने के योग्य हैं। विदिशा के निकटवर्ती छोटे-छोटे नगर अपने में महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए हैं। अत: इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए भी इनको देखना रुचिकर होगा।





उदयगिरि

उदयगिरि विदिशा से वैसनगर होते हुए पहुंचा जा सकता है। नदी से यह गिरि लगभग 1 मील की दूरी पर है। पहाड़ी के पूरब की तरफ पत्थरों को काटकर गुफाएं बनाई गई हैं। इन गुफाओं में प्रस्तर- मूर्तियों के प्रमाण मिलते हैं, जो भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है। उत्खनन से प्राप्त ध्वंसावशेष अपनी अलग कहानी कहते हैं। उदयगिरि को पहले नीचैगिरि के नाम से जाना जाता था। कालिदास ने भी इसे इसी नाम से संबोधित किया है। 10 वीं शताब्दी में जब विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया। उदयगिरि में कुल 20 गुफाऐ हैं। इनमें से कुछ गुफाएं 4वीं- 5वीं सदी से संबद्ध है। गुफा संख्या 1 तथा 20 को जैन गुफा माना जाता है। गुफाओं की प्रस्तर की कटाई कर छोटे- छोटे कमरों के रूप में बनाया गया है। साथ- ही- साथ मूर्तियां भी उत्कीर्ण कर दी गई हैं। वर्तमान में इन गुफाओं में से अधिकांश मूर्ति- विहीन गुफाएं रह गई हैं। ऐसा यहां पाये जाने वाले स्थानीय पत्थर के कारण हुआ है। पत्थर के नरम होने के कारण खुदाई का काम आसान था, लेकिन साथ- ही- साथ यह मौसमी प्रभावों को ङोलने के लिए उपयुक्त नहीं है।






ग्यारसपुर

संपूर्ण दर्शाण क्षेत्र में ग्यारसपुर को विदिशा के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान कहा जाता है। यह विदिशा से पूर्वोत्तर दिशा में 23 मील की दूरी पर एक पहाड़ी की उपत्यका में बसा हुआ है। इसके इर्द- गिर्द मिले अवशेषों से पता चलता है कि यहां बौद्ध, जैन तथा ब्राrाण तीनों संप्रदायों का प्रभाव रहा है।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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