शनिवार, 7 जून 2014

मीर: अभी टुक रोते रोते सो गया है



मीर के बारे में कभी मिर्जा गालिब ने कहा था- रेख्ती के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो गालिब, कहते हैं अगले जमाने में कोई मीर भी था। उन्हें उर्दू का पहला बड़ा शायर कहा जाता है जिनका व्यापक प्रभाव बाद के शायरों पर पड़ा।
उल्टी हो गईं सब तद्बीरें कुछ न दवा ने काम किया., पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है., देख तो दिल कि जां से उठता है., यारों मुङो मुआफ करो मैं नशे में हूं.सहित कई लोकप्रिय गजलें लिखने वाले मीर की स्मृति के साथ लखनऊ में अच्छा बर्ताव नहीं हो सका।।
20 सितंबर 1810 में उनकी मृत्यु के बाद सिटी स्टेशन के पास अखाड़ा भीम में उन्हें दफन किया गया। सिटी स्टेशन बाद में जब बना तब भी उनकी मजार दिखती थी लेकिन फिर ट्रेन की पटरियों के बीच कहीं ऐसी गुम हुई कि फिर उसे ढू्ंढा नहीं जा सका।
मीर का लिखा हुआ यह शेर- सिरहाने मीर के आहिस्ता बोलो, अभी टुक रोते-रोते सो गया है..उनकी इस स्मृति पर चरितार्थ भी होता है। उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए बाद में सिटी स्टेशन के पास एक पार्क बनाया गया, जिसमें पत्थर की कलम, किताब और दवात बनवाकर उसे निशान-ए-मीर का नाम दिया गया लेकिन यह कलम, किताब और दावात अब गायब हैं और पार्क अतिक्रमण की चपेट में है। ज्यादातर क्षेत्रीय लोगों को यह जानकारी नहीं है कि यह पार्क किस दिग्गज शायर की स्मृति में बनाया गया है। ऐसे में यहां तक पहुंच पाना भी आसान नहीं है। कलम, किताब और दवात के गायब होने के बाद प्रशासन ने इसे पुन: लगाने की जरूरत महसूस नहीं की, जो इस बात का द्योतक है कि यह शहर अपने दिवंगत शायरों के साथ कैसा बर्ताव कर रहा है।
गौरतलब है कि मीर का जन्म वर्ष 1723 में आगरा में हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद वह दिल्ली में बसे। वर्ष 1757-61 में अहमदशाह अब्दाली के दिल्ली पर हमले के बाद 1780-81 के करीब वह लखनऊ आ गए और वहीं की संस्कृति में रच-बस गए। कहा जाता है कि वे रकाबगंज में खिन्नी वाली गली में रहते थे। 20 सितम्बर 1810 को उनका निधन हुआ। उनके छह दीवान प्रकाशित हुए हैं।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करनाचाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source – KalpatruExpress News Papper

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें