मंगलवार, 23 सितंबर 2014

Ramdhari Singh Dinker Profile In Hindi

Ramdhari Singh Dinker
रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाते रहे। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओं में ओज विद्रोह आक्रोश और क्रांति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल शृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें कुरुक्षेत्र और उर्वशी में मिलता है।
आपका जन्म २३ सितंबर १९०८ को सिमरिया, मुंगेर, बिहार में हुआ था। पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक हाईस्कूल में अध्यापक हो गए। १९३४ से १९४७ तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्ट्रार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया। १९५० से १९५२ तक मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह महाविद्यालय(एल.एस.कॉलेज) में हिन्दी के शिक्षक रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और इसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने।
आपको भारत सरकार की उपाधि पद्मविभूषण से अलंकृत किया गया। आपकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कर प्रदान किए गए।
२४ अप्रैल १९७४ को आपका स्वर्गवास हुआ।
प्रमुख कृतियाँ :
गद्य रचनाएँ : मिट्टी की ओर, अर्धनारीश्वर, रेती के फूल, वेणुवन, साहित्यमुखी, काव्य की भूमिका, प्रसाद पंत और मैथिलीशरणगुप्त, संस्कृति के चार अध्याय।
पद्य रचनाएँ : रेणुका, हुंकार, रसवंती, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, उर्वशी, हारे को हरिनाम।

रामधारी सिंह दिनकर के अनमोल विचारRamdhari Singh Dinker Quotes In Hindi

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें