बुधवार, 10 जून 2015

CREDIT CARD से जुड़े 10 फैक्ट्स, जिन्हें अक्सर ग्राहकों से छुपा लेते हैं बैंक



हाल ही में रजत को स्पेशल कॉर्पोरेट ऑफर के तहत कंपनी के बैंकिंग पार्टनर की ओर से क्रेडिट कार्ड मिला है। वे क्रेडिट कार्ड पर प्रस्तावित सुविधाओं से बहुत खुश थे। उन्हें कोई प्रोसेसिंग फीस या एनुअल फीस भी नहीं लगी थी। लेकिन पहले ही स्टेटमेंट ने उन्हें जोर का झटका दिया। उसमें कई सारे हिडन चार्जेस सामने आए। पेमेंट ड्यू के तौर पर कई तरह की फीस थी।
रजत ने बैंक में फोन किया तो पता चला कि यह फीस और चार्जेस कार्ड के इस्तेमाल से जुड़े हैं। कोई विकल्प नहीं था इसलिए रजत को पूरा भुगतान करना पड़ा। क्रेडिट कार्ड्स पर कई तरह के चार्जेस और नियम होते हैं। हो सकता है कि शुरुआती बातचीत में ग्राहक को उसके बारे में न बताया जाए। इस वजह से क्रेडिट कार्ड लेने से पहले उन पर लगने वाले चार्जेस के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है:

1. एनुअल फीस और अन्य चार्जेस

ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां पहले साल की एनुअल फीस माफ कर क्रेडिट कार्ड फ्री में उपलब्ध कराती है। हालांकि, यह ऑफर एक साल में खत्म हो जाता है। उसके बाद कार्ड के प्रकार और क्रेडिट लिमिट के आधार पर 500 से 3,000 रुपए तक एनुअल फीस वसूली जाती है।

2- रिवॉल्विंग इंटरेस्ट रेट्स: ड्यू डेट तक कार्ड पर बकाया राशि नहीं चुकाने पर हर महीने 1.99% से 4.00% तक की दर से ब्याज चुकाना पड़ सकता है। भले ही यह चार्ज मुनासिब लगे, जब हम इसे एनुअलाइज्ड परसेंट रेट (एपीआर) में बदलते हैं तो यह 24% से 48% हो जाता है।

3- ओवरड्राफ्ट लिमिट से ज्यादा पर फीस: क्रेडिट लिमिट पार करने पर ग्राहक से यह फीस वसूली जाती है। सामान्य तौर पर यह ओवरड्रॉ करने की लिमिट का एक निश्चित प्रतिशत होती है।
4- लेट पेमेंट चार्जेज: क्रेडिट कार्ड कंपनियां ग्राहक द्वारा देरी से किए गए हर पेमेंट पर लेट पेमेंट फीस वसूलती हैं। यह एक निश्चित राशि या बकाया राशि का एक निश्चित प्रतिशत हो सकता है।

5- सर्विस टैक्स: क्रेडिट कार्ड की फीस, ब्याज और अन्य चार्जेस पर भी 14% की दर से सर्विस टैक्स वसूला जाता है।
6- आउटस्टेशन चेक फीस: यदि ग्राहक आउटस्टेशन चेक से क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करता है तो चेक राशि के निश्चित प्रतिशत के तौर पर सर्विस फीस वसूली जाती है। इसमें न्यूनतम शुल्क तय होता है।

7- डुप्लीकेट स्टेटमेंट पर फीस: ज्यादातर क्रेडिट कार्ड कंपनियां डुप्लीकेट स्टेटमेंट जारी करने पर निश्चित राशि वसूलती है।
8- फॉरेन करेंसी ट्रांजैक्शन: विदेशी मुद्रा में लेनदेन को नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर (मास्टर/वीजा) की दी गई दर के आधार पर भारतीय मुद्रा में बदला जाता है। इस राशि पर एक निश्चित प्रतिशत फीस के तौर पर वसूली जाती है। यहां भी न्यूनतम राशि तय रहती है।

9- कैश विड्रॉ चार्जेस: क्रेडिट कार्ड से कैश विड्रॉ करने पर भी फीस वसूली जाती है। यह ट्रांजैक्शन की राशि का निश्चित प्रतिशत हो सकती है।
10- पेट्रोल और रेलवे टिकट पर फीस: क्रेडिट कार्ड से पेट्रोल और रेलवे टिकट खरीदने पर निश्चित राशि फीस के तौर पर वसूली जाती है।

हिडन चार्जेस से निपटने के लिए कुछ टिप्स: आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ऊपर बताए गए चार्जेस से बच नहीं सकते। लेकिन इन उपायों से इनका बोझ कुछ हल्का जरूर कर सकते हैं:
1. आवेदन करने से पहले क्रेडिट कार्ड पर पर्याप्त रिसर्च करें। पता करें कि किस कंपनी का कौन-सा कार्ड ज्यादा फायदेमंद रहेगा।
2. अपनी जरूरत के आधार पर ही क्रेडिट कार्ड लें।
3. शुरुआती रेट्स और क्रेडिट कार्ड से जुड़े चार्जेस को समझें। साथ में मिली बुकलेट और कार्ड के पीछे छपे नियमों को अच्छे से पढ़े।
4. शॉपिंग के दौरान समझदारी बरतें। गैरजरूरी वस्तुएं न खरीदें।
5. ब्याज समय पर और बिल में दिए चार्ज से ज्यादा ही चुकाएं।
6. मासिक स्टेटमेंट पढ़ें और समझे। गैरजरूरी चार्ज की शिकायत करें।
7. अपनी क्रेडिट लिमिट से ज्यादा खर्च कभी न करें।
8. विदेशी मुद्रा में लेनदेन में कन्वर्जन रेट की जानकारी रखें।

क्रेडिट कार्ड के हैं कई फायदे
पे-बैक पॉइंट्स, कैश बैक ऑफर्स के साथ ही रिटेल कंपनियों व ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स से पार्टनरशिप पर स्पेशल डिस्काउंट भी मिलता है। हालांकि, यदि आपको उसका सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता तो ड्यू अमाउंट का भुगतान आपकी सीमा से बाहर हो सकता है। आप समस्याओं से भी घिर सकते हैं।




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